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अंबेडकर नगर
हाइकोर्ट के स्टे के बाद भी बहाली के लिए एक सप्ताह से दौड़ रहे ग्राम विकास अधिकारी ने कई गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि सीडीओ और डीडीओ से मिलने पर उन्हें अंजाम भुगतने की चेतावनी दी गई। दोनों अधिकारियों के नाम पर ही उनसे नाजिर द्वारा 40 हजार रुपये मांगे जा रहे थे।
विकास भवन के नाजिर को ट्रैप कराने के बाद निलंबित ग्राम विकास अधिकारी विनोद कुमार ने वरिष्ठ अधिकारियों को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट के स्टे के बाद मैं सीडीओ से मिला। उन्होंने डांटते हुए और कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दे डाली। डीडीओ ने भी सुनवाई नहीं की। दोनों अधिकारियों ने तत्काल बहाली का निर्णय लेने के बजाय नाजिर से मिल लेने को कहा।
विनोद के अनुसार नाजिर से मिलने पर उसने अधिकारियों से समझकर 40 हजार रुपये की मांग रख दी। वीडीओ ने कहा कि हाईकोर्ट का सीधा आदेश है। मै पैसा नहीं दूंगा। इस पर टाल9मटोल शुरू कर दी गई। वह कई दिन गया लेकिन सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद ही पूरा मामला एंटी करप्शन टीम के हवाले गया। विनोद ने अकबरपुर कोतवाली में शुक्रवार देर शाम कहा कि नाजिर तो मोहरा भर हैं। उन्हें तो अधिकारियों ने इस्तेमाल किया है। मैं इसे शपथपत्र पर भी लिखकर देने को तैयार हूं। मैने रिसीविंग भी कराई थी। इसके बाद भी भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया गया। उधर डीडीओ सुनील तिवारी ने कहा कि मुझसे या सीडीओ से कर्मचारी विनोद नहीं मिला। न ही कोर्ट का कोई आदेश सामने आया। उसके द्वारा कही जा रही बातें तथ्यहीन और मनगढ़ंत हैं।